धनबाद। धनबाद की काली धरती झरिया से भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का गहरा नाता था। उनका चार बार धनबाद आगमन हुआ। बापू का यह आगमन स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति कोयला मजदूरों को एकजुट करने, उनका जीवन स्तर सुधारने तथा आंदोलन के जरूरी धन एकत्र करने के सिलसिले में हुआ।
देश को धन की जरूरत थी और इसे पूरा करने की जिम्मेवारी महात्मा गांधी जी के कंधे पर आई थी। तब महात्मा गांधी से झरिया का रुख किया था। झरिया ने भी बापू को निराश नहीं किया। महात्मा गांधी का सबसे रोचक झरिया आगमन 1922 में हुआ था। दरअसल गया में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन होना था। तैयारियां चल रहीं थीं। पर, आर्थिक मोर्चा गड़बड़ा रहा था। तब महात्मा गांधी ने राशि की व्यवस्था का बीड़ा उठाया।
देशबंधु चितरंजन दास के साथ वे राशि व्यवस्था को निकल पड़े। कई जगहों पर गए। इसी क्रम में देशबंधु चितरंजन दास ने महात्मा गांधी को बताया कि झरिया के रहनेवाले रामजस अग्रवाल से मदद मिल सकती है। ये जानकारी पाकर महात्मा गांधी और दास दोनों झरिया पहुंच गए। रामजस अग्रवाल के घर पहुंच आने का मंतव्य बताया। रामजस परेशान कि महात्मा गांधी खुद आये हैं। उनको कितनी राशि दी जाय। वे कुछ तय नहीं कर पा रहे थे। तब ऐसा निर्णय लिया जिसने न सिर्फ बापू का सम्मान रखा बल्कि झरिया आज भी उस निर्णय से गौरवान्वित है। उन्होंने महात्मा गांधी को ब्लैंक चेक काट कर दे दी। हालांकि बाद में उसमें पचास हजार की राशि भरी गई।
इसके अलावा 5 जनवरी 1921 को गांधी जी झरिया आए थे। तब झरिया के राजग्राउंड, धनबाद व कतरास में सभा की थी। 12 जनवरी 1927 को भी उनका दो दिनों का कार्यक्रम झरिया में हुआ। ये सभा मजदूरों की स्थिति को लेकर हुई थी। गांधी जी अंतिम बार झरिया 20 अप्रैल 1934 को आए थे। तब उन्होंने झरिया के अलावा बेरमो में सभा की थी।
रांची भी लगातार आए बापू : झरिया के अलावा रामगढ़, रांची और जमशेदपुर में भी महात्मा गांधी का आगमन हुआ। सबसे पहले 1917 को उनका आगमन रांची में हुआ था। जबकि अंतिम बार 53 वें कांग्रेस अधिवेशन में शामिल होने के लिए वे रामगढ़ पहुंचे थे।
जमशेदपुर। प्रखंड इलाके में इन दिनों बिजली की स्थिति चरमराई हुई है। खासकर बाग़बेड़ा क्षेत्र में इन दिनों बिजली की समस्या गंभीर है। इसे दूर किये जाने की मांग को लेकर झामुमो प्रखंड कमिटी ने करणडीह स्थित विद्दुत विभाग कार्यालय पर प्रदर्शन किया। एक सप्ताह के भीतर समस्या सुलझाने को कहा।
झामुमो नेता बहादुर किस्को ने कहा कि क्षेत्र में बिजली की घोर समस्या है। बिजली के खम्बे कई क्षेत्रों में है ही नहीं। लकड़ी के बांस पर बिजली के तार लटके रहते हैं। भीषण गर्मी में क्षेत्र के लोगों को बिजली की आपूर्ति नहीं की जा रही है। लोग उबल रहे हैं।
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पूर्व में भी इसपर ध्यान देने की अपील की गई है, लेकिन उसका कोई लाभ नहीं हुआ है। आने वाले दिनों में आंधी और तूफान का दौर शुरू होगा और इस दौरान बांस के सहारे लटके बिजली के तार टूटेंगे। इसे हादसा होने की संभावना है।
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जमशेदपुर। झारखण्ड वनाधिकार मंच और झारखण्ड मुक्ति वाहिनी ने वनाधिकार कानून को सख्ती से लागू करने को लेकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने जिले के उपायुक्त के माध्यम से राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। साल 2006 का वन अधिकार कानून को पालन कराने पर जोर दिया गया है।
आपको बता दें की वर्ष 2006 में वन अधिकार कानून लाया गया था, और इसी को सख्ती से पालन किये जाने की मांग उठाई गई है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वन क्षेत्र में जो भी लोग निवास करते है उन्हें इस कानून के तहत अधिकार है कि वो वन का संरक्षण करें और वन संसाधनों का उपयोग कर अपनी आजीविका चलायें। इसका पालन नहीं किया जा रहा है। वन क्षेत्र में अगर कोई भी निर्माण कार्य किया जाये तो वहां के ग्रामसभा से इसे पारित करवाना होगा। लेकिन ऐसा नहीं किया जाता है।
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झारखण्ड वनाधिकार मंच और झारखण्ड मुक्ति वाहिनी के प्रतिनिधि ने कहा कि ये सभी चीजें तभी हो सकती है जब वनाधिकार अधिनियम को जिले में सख्ती से लागू करवाया जाये। मांग पत्र के माध्यम कहा गया है कि वन क्षेत्र के लोगों को उनका अधिकार मिले और वनों का संरक्षण भी सुनिश्चित हो सके।
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गांडेय (गिरिडीह)। जनसमस्याओं को लेकर जेवीएम ने गांडेय प्रखंड मुख्यालय परिसर में एक दिवसीय धरना दिया। प्रखंड कमेटी के सदस्यों ने मांग किया है कि गैरमजरुवा जमीन पर अविलंब रसीद निर्गत करने, प्रधानमंत्री आवास योजना एवं अन्य योजनाओं में गड़बड़ी करने वाले पर कार्रवाई, गांडेय स्वास्थ्य केंद्र को सुविधा से लैस किया जाय।
कार्यक्रम के बाद धरनार्थियों ने राज्यपाल के नाम ग्यारह सूत्री मांग को लेकर बीडीओ को एक ज्ञापन भी सौंपा। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से उपस्थित गांडेय के पूर्व विधायक सह जेवीएम नेता लक्ष्मण स्वर्णकार ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण विकास थम सा गया है। ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं भी मयस्सर नहीं है।
उन्होंने कहा कि पानी, बिजली की समस्याओं से लोग जूझते दिख रहे हैं। सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की कोई सुविधा नहीं है। अधिकांश चापानल खराब पड़े हैं। विकास योजनाओं में बिचौलिए हावी है। योजनाओं में लुट के कारण वास्तविक लाभुकों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
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कार्यक्रम में जेवीएम नेताओं ने क्षेत्र के खराब सड़कों की मरम्मती, मानदेय कर्मी पारा शिक्षक, रोजगार सेवक, रसोइया, सेविका सहायिका, पोषण सखी, स्वंयसेवक, कम्प्यूटर आपरेटर, समेत अन्य कर्मियों को सरकारी कर्मी की तरह मानदेय तथा सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की।
वहीं स्वास्थ्य सुविधा को लेकर गांडेय स्वास्थ्य केंद्र में सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने, मनरेगा योजना में समय पर मजदूरी एवं सामग्री उपलब्ध कराने, विधवा वृद्धा पेंशन में व्याप्त त्रुटियों को दूर करने, खराब पड़े चापानल की मरम्मत करने, मॉडल विद्यालय कस्तूरबा में शिक्षकों की कमी को दूर कर समुचित शिक्षा व्यवस्था बहाल करने समेत ग्यारह सूत्री मांग को लेकर महामहिम राज्यपाल के नाम बीडीओ को स्मारपत्र सौंपा गया।
इसके पूर्व धरना-प्रदर्शन में उपस्थित अतिथियों ने सरकार की गलत नीतियों पर निशाना साधा। मौके पर प्रखंड महामंत्री राजु राणा, मनोज कुमार सिंह, अवधेश राय, राजेश यादव, शंकर प्रसाद राय, वासुदेव मंडल, मिथिलेश मंडल, शंकर मंडल समेत कई लोग उपस्थित थे।
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